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कोल्हापुर स्थापन

MF रडार स्थापन, शिवाजी विश्वविद्यालय परिसर, कोल्हापुर

भौगोलिक स्थिति:  अक्षांश: 16.69o N एवं रेखांश: 74.24o E 

MF रडार स्थापन, शिवाजी विश्वविद्यालय परिसर, कोल्हापुर में गतिविधियां

Kolhapur Facility Building

शिवाजी विश्वविद्यालय परिसर, कोल्हापुर में कोल्हापुर स्थापन का एक दृश्य

भा.भू.सं. की इस स्थापन ने 1989 में क्रमशः प्रस्फुरण, टिल्टिंग फ़िल्टर फोटोमीटर और पोलारी मीटर के उपयोग से आयनमंडलीय प्रस्फुरण, विषुवतीय प्लाज़्मा बुलबुले और समग्र इलेक्ट्रॉन मात्रा मापनों के लिए प्रयोगों के साथ अपनी गतिविधि शुरू की। ये प्रयोग भौतिकी विभाग, शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर (एसयूके) में भा.भू.सु. की रात्र वायुदीप्ति प्रयोगशाला में स्थापित किए गए थे।

1996 में एसयूके ने राजाराम तलाव (टैंक) के निक आंशिक परावर्तन रडार (16.690 N, 74.240 E) की स्थापना के लिए 22 एकड़ भूमि आवंटित की जिसे अब मध्यम आवृत्ति (MF) रडार कहा जाता है। उसी वर्ष 1996 के दौरान भा.भू.सं. ने एसयूके के भौतिकी विभाग की छत पर अपना पहला ऑल-स्काई इमेजर स्थापित किया। जून 2000 में आंशिक परावर्तन रडार ने 70 से 98 किलोमीटर की ऊंचाई में मध्यमंडलीय पवन का मापन शुरू कर दिया।

भा.भू.सं. और एसयूके के बीच पहले वैज्ञानिक समझौता ज्ञापन पर मई-1991 में हस्ताक्षर किए गए थे और इसे हर पांच वर्ष बाद नवीनीकृत किया गया जो आज तक जारी है। हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन भा.भू.सं. और कोल्हापुर स्थापन के वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों के संकाय एवं छात्रों के बीच पारस्परिक हित के कई बहु-विषयक क्षेत्रों पर विचार-विमर्श के अवसर प्रदान करता है। एसयूके एम.एससी. टी. एंड डी., एम.फिल और पीएच.डी. डिग्री प्रदान करने के लिए भौतिकी और भूभौतिकी में अनुसंधान हेतु एक केंद्र के रूप में संस्थान को मान्यता देता है।

च्चतर आयनमंडल और मध्यमंडलीय गतिकीय मापदंडों पर डेटा प्रदान करने वाले ऑल-स्काई इमेजर, मेरिडियन स्कैनिंग फोटोमीटर और एक मध्यम आवृत्ति वाले रडार के साथ, यह केंद्र दुनिया में बहुत कम स्थानों में से एक है, जो  ~110 किमी पर प्रवाहित आयनमंडल में एक प्रवर्धित पूर्व-पश्चिम धारा प्रणाली अर्थात् विषुवतीय इलेक्ट्रोजेके अध्ययन हेतु अनुकूल है।

कोल्हापुर स्थापन का महत्व:

कोल्हापुर की भौगोलिक स्थिति को अनूठा माना गया है क्योंकि यह भूचुंबकीय विषुवत के मध्य में स्थित है, जो भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे से गुजरता है और एप्पलटन असंगति नामक आयन क्षेत्र के F-क्षेत्र में शीर्ष इलेक्ट्रॉन घनत्व है, जो कर्करेखा (23.50N, अक्षांश) के पास स्थित है। यह उत्तरी अक्षांशों की ओर विषुवतीय क्षेत्र से आयनीकरण के परिवहन का अध्ययन करने के लिए एक आदर्श स्थान है।

विषुवतीय मध्य वायुमंडल की गतिशीलता को पर्याप्त रूप से नहीं समझा जा सका है, इसका मूल कारण विश्वसनीय डेटाबेस का अभाव है। इसीलिए, इन क्षेत्रों में निम्न और विषुवतीय अक्षांशों पर पवनों के निरंतर अन्वीक्षण के लिए मध्यम आवृत्ति रडार प्रणाली जैसी वायुमंडलीय रडार आवश्यकता होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए भा.भू.सं. ने विषुवतीय स्टेशन तिरुनेलवेली (8.70 N, 77.80 E, भौगोलिक अक्षांश; 0.350N, चुंबकीय नति) और अन्य निम्न अक्षांश स्टेशन कोल्हापुर (16,90 N, 74.240 E और 10.60 N नति अक्षांश) में दो MF रडार सेट-अप स्थापित किए। इनके साथ ही अब हम निम्न अक्षांश गुरुत्व तरंगों और दीर्घकालीन विषुवतीय तरंगों की भूमिका का अध्ययन कर सकते हैं।

यह माना गया है कि इस क्षेत्र की परिवर्तनशीलता निर्धारित करने के लिए ग्रहीय-पैमाने की तरंगों और ज्वारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन अतीत में निरंतर प्रेक्षणों के अभाव में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में उनके प्रसार की विशेषताओं और निचले और मध्य वायुमंडलीय उत्पत्ति के ज्ञात स्रोत तंत्र के संबंध में विस्तार से खोज नहीं की जा सकी है।

कोल्हापुर में MF रडार स्थापन:

वायुमंडलीय भौतिकी समूह, भौतिकी और गणितीय भौतिकी विभाग, एडिलेड विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से कोल्हापुर के लिए एक उच्च शक्ति मध्यम आवृत्ति (MF) रडार प्रणाली खरीदी गई थी। इस रडार का मुख्य उद्देश्य 70-98 किमी ऊंचाई वाले क्षेत्र में तटस्थ पवनों के निरंतर मापन प्राप्त करना है। दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय बेल्ट में, इस तरह के केवल कुछ रडार ही सक्रिय हैं। कोल्हापुर में मापित पवन क्षेत्र कई अवधियों के पैमानों (कुछ वर्षों से कुछ घंटों तक) में परिवर्तनशीलता प्रदर्शित करते हैं। पवन की प्रेक्षित परिवर्तनशीलता के कारण बड़े पैमाने पर परिसंचरण और तरंग प्रक्रियाओं की भूमिका इस अध्ययन का पहला केंद्र बिंदु रही है। 110 दिनों तक के क्षेत्रों पर निचले वायुमंडलीय तरंग की आवेश प्रक्रियाओं के प्रभाव को प्रकट करते हुए कुछ दिनों से लेकर कर्इ दिनों तक चलने वाली अनेक तरंग घटनाओं को देखा गया है। इस तरह के और अधिक अध्ययनों से यह पता चलने की उम्मीद है कि तरंगों और ज्वारों का कौनसा वर्णक्रम ऊपर की ओर प्रसरित होकर उच्चतर वायुमंडलीय मौसम को आवेशित करता है।

मौजूदा MF रडार प्रणाली को अब अगस्त 2013 में 32 किलोवाट, 3 चैनल, MF स्पेस्ड एंटीना रडार प्रणाली द्वारा एटीआरएडी प्राइवेट लिमिटेड ऑस्ट्रेलिया द्वारा तीसरे संस्करण में उन्नत किया गया है। यह प्रणाली लगातार 24 घंटे काम कर रही है।

यह रडार प्रणाली स्पेस्ड एंटीना विधि का उपयोग करती है, जिसमें प्रेषित रडार बीम को लंबवत रूप से निर्देशित किया जाता है। प्रतिध्वनियों के प्रेक्षण हेतु उदग्र रूप से निर्देशित तीन स्पेस्ड रिसीवर वाली एंटीना का उपयोग किया जाता है। स्पेस्ड एंटीना पर प्रतिध्वनि की दृढ़ता में उच्चावचन दर्ज किया जाता है और क्षैतिज पवन की उपस्थिति में ये सापेक्ष समय विस्थापन दर्शाते हैं। यह समय विस्थापन जोड़े में दर्ज की गयी प्रतिध्वनियों के अनुप्रस्थ सहसंबंध कारक से निर्धारित होता है और समय विस्थापन से क्षैतिज पवन की गणना की जा सकती है। ऊंचाई को एक श्रृंखला द्वार द्वारा चुना जाता है (यानी ऊंचाई को प्रतिध्वनि के समय से मापा जाता है)। प्रेक्षण की ऊंचाई को एक विलंबित प्रवेशक स्पंद द्वारा चुना जाता है, जिसे 2 किमी के चरणों के साथ क्रमिक रूप से 60 किमी से आगे बढ़ाया जाता है।

कोल्हापुर और तिरुनेलवेली के MF रडार, डायनेमो क्षेत्र के निकट पवन क्षेत्रों पर उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं। इन दोनों रडार से निरंतर डेटा प्राप्त होने के साथ, EEJ के अस्तित्व और अनुरक्षण से संबंधित कई समस्याओं और वैश्विक Sq धारा प्रणाली के साथ इसके संबंध की छानबीन की जा रही है। EEJ की परिवर्तनशीलता के लिए जिम्मेदार मूलभूत प्रक्रियाओं को स्पष्ट करने के लिए उपयुक्त सैद्धांतिक प्रतिरूप घरेलू रूप से विकसित करने का प्रस्ताव किया गया है।

रात्र वायुदीप्ति के उपयोग से उच्चतर वायुमंडल के अध्ययन:

वायुदीप्ति वायुमंडलीय स्वरूपों से फोटोन का उत्सर्जन है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सौर विद्युतचुम्बकीय विकिरण द्वारा आवेशित होती है। रात के दौरान होने वाली इस घटना को रात्रदीप्ति कहा जाता है। रात्रदीप्ति उत्सर्जन मध्यमंडल-निम्नतर तापमंडल क्षेत्र और उच्चतर तापमंडल क्षेत्र की विशेषता है। ये उत्सर्जन मध्यमंडल-निम्नतर तापमंडल में उच्च प्रतिक्रियाशील रासायनिक समूहों (मुख्य रूप से विषम-ऑक्सीजन, Ox और विषम-हाइड्रोजन, HOx समूह) की उपस्थिति तथा उच्चतर तापमंडल में पुनर्संयोजन प्रक्रियाओं के कारण होते हैं।

F-क्षेत्र की गतिशीलता और आयनमंडल की E एवं F परत के बीच युग्मन का अध्ययन करने के लिए, याम्योत्तर स्कैनिंग फोटोमापी (MSP) और आल स्काय इमेजर के उपयोग से विभिन्न रात्रदीप्ति उत्सर्जन (OI 630.0 nm, 557.7 nm, 777.4 nm, 589.3 nm और OH (7,2), OH (8,3) बैंड उत्सर्जन) का नियमित अन्वीक्षण किया जा रहा है। 80-100 किलोमीटर के बीच इस क्षेत्र में अल्पावधि की वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगों के क्षैतिज प्रसार की विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए पन्हाला से ऑल-स्काई इमेजर भी प्रचालित किया गया था।

आल स्काय-इमेजर:

1991 में बोस्टन विश्वविद्यालय, U.S. के सहयोग से पहली CCD आधारित ऑल-स्काई इमेजिंग प्रणाली (1800 दृश्य समावेश) विकसित की गयी है और इसे शिवाजी विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग से संचालित किया गया। इसे आगे एक नए अत्यधिक संवेदनशील, पोर्टेबल ऑल-स्काई वायुदीप्ति इमेजर किओ सेंट्री 3" वैज्ञानिक इमेजर मेसर्स किओ साइंटिफिक लिमिटेड कनाडा से अपग्रेड किया गया। इमेजर में 1800 दृश्य समावेश है और एक नये संस्करण सॉफ्टवेयर (Keo_Synopticx V3.10.exe) के साथ प्रिंसटन उपकरण का 1024 पिक्सेल रिज़ॉल्यूशन कैमरा मार्च 2009 के दौरान MF रडार स्थापन के वायुदीप्ति कक्ष में स्थापित किया गया है। अब यह एक तापमान नियंत्रित फिल्टर व्हील में स्थापित उच्च पारेषण (50-90%) के हस्तक्षेप में की मदद से, OI 557.7 nm और OI 630.0 nm रात के वायुदीप्ति उत्सर्जन का अन्वीक्षण कर रहा है। 720–910 nm पर OI 630 nm, OI 557 nm और OH मीनल बैंड का और 572.4 nm पर पृष्ठभूमि के प्रसरण के लिए फिल्टर व्हील में छ: फिल्टरों का निर्माण किया गया। ऑल-स्काई इमेजर प्रणाली का उपयोग मुख्य रूप से मध्यसीमा क्षेत्र में वायुदीप्ति उत्सर्जित करने वाले उन्नतांशों पर छोटे पैमाने की प्रखल तरंग गतियों के अन्वीक्षण के लिए किया जाता है।

बहु-वर्णक्रमिक स्कैनिंग फोटोमापी (MSP):

OH कंपन-घूर्णन बैंड की चयनित लाइनों के अन्वीक्षण के लिए बहु-तरंग दैर्घ्य फोटोमापी ~87 किमी पर पूरक घूर्णनात्मक तापमान मापन प्रदान करता है। इस तरह के मापन, उच्च वियोजन वर्णक्रमलेखन द्वारा सहायता-प्राप्त, आंतरिक रासायनिक प्रक्रियाओं और वायुदीप्ति तीव्रता में गतिकीय विक्षोभों को समझने के साक्ष्य प्रदान करते हैं। पीसी आधारित प्रोग्रामेबल ऑल स्काई स्कैनिंग प्रणाली को 2000 के दौरान मेसर्स डी’टेक इंस्ट्रूमेंट्स, कोल्हापुर द्वारा तैयार और विकसित किया गया। बहु-वर्णक्रमिक-स्कैनिंग फोटोमापी को अपेक्षाकृत संकीर्ण दृश्य क्षेत्र के साथ OI (55.5.7 nm और 630.0 nm) और OH (731, 740, 846, 839 nm) के निम्न-अक्षांशीय वायुदीप्ति उत्सर्जन मापने के लिए बनाया गया है। फिल्टर का बैंड विस्तार 1 nm की सीमा में संकीर्ण है, जो स्थिर मोड में संचालित है। फोटोमीटर के दृश्य का क्षेत्र 10o है। यहां संसूचक के रूप में फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब, EMI9658B का उपयोग किया जाता है। फ़िल्टर व्हील में छह हस्तक्षेपी प्रकाशीय फ़िल्टर होते हैं जो विभिन्न उन्नतांशों से आने वाले विभिन्न वायुदीप्ति उत्सर्जन को माप सकते हैं। उच्चतर मध्यमंडल-निम्नतर तापमंडल क्षेत्र के वायुमंडलीय तापमान को OH मीनल बैंड और O2 वायुमंडलीय बैंड के फोटोमीटर डेटा के उपयोग से प्राप्त किया जा रहा है।

ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS):

कोल्हापुर स्थापन में GPS शक्तिशाली आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रयोगात्मक सेटअप में से एक है। यह लगातार प्रेक्षण के चिह्नित स्थान की स्थिति का अन्वीक्षण करता है। विभिन्न स्थानों पर समान सेटअप के साथ इसके डेटा की तुलना करके पृथ्वी के पर्पटीय विस्थापन का अध्ययन किया जा सकता है, जिसका उपयोग भूकंपीय प्रवण क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि की भविष्यवाणी या अध्ययन के लिए भी किया जा सकता है। यह प्रयोग प्रेक्षण के स्थान के ऊपर आयनमंडल के समग्र अभिन्न इलेक्ट्रॉन संकेंद्रण (TEC) को भी मापता है।

पहला GPS रिसीवर अक्टूबर 2008 के दौरान स्थापित किया गया था और अब इसे उन्नत और अधिक सटीक ट्रिम्बल नेट आर 9 GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) रिसीवर के साथ बदल दिया गया है और भौतिकी विभाग, शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर में प्रचालित किया गया है। वायुमंडलीय अनुप्रयोगों के लिए, GPS चोक रिंग एंटीना एक शैक्षणिक भवन की छत पर लगाया जाता है। GPS रिसीवर और कंप्यूटर को इमारत के भीतर रखा गया है। रिसीवर GPS बैंड विस्तार के वास्तविक वाहक चरण के साथ चरण की तुलना करने के लिए व्यापक बैंड विस्तार ट्रैकिंग छोरों और एक आंतरिक, चरण स्थिर, क्रिस्टल दोलक का उपयोग करता है। इस प्रकार, यह एक साथ देखने में 11 GPS उपग्रहों से L1 (1575.42 MHz) और L2 (1227.6 MHz) पर सही आयाम, एकल आवृत्ति वाहक चरण माप और दृश्य पथ कोड और वाहक चरण विलंब प्रदान करता है, साथ ही 22 रिसीवर चैनलों में आउटपुट प्रदान करता है। । प्राथमिक द्विगुणी डेटा को कंप्यूटर में दर्ज किया जाता है और सॉफ्टवेयर के उपयोग से समग्र इलेक्ट्रॉन मात्रा (TEC) का अनुमान लगाया गया है जो RINEX स्वरूपित प्राथमिक डेटा को पढ़ता है और चक्र प्रवाह सुधार और चरण समतलन के लिए डेटा को संसाधित करता है।

कोल्हापुर स्थापन में प्रकाशीय वायुविज्ञान प्रयोगशाला शुरु करने पर, यह स्थापन दुनिया में बहुत कम स्थानों में से एक बन गया है जहां रेडियो और प्रकाशीय दूरस्थ संवेदन के कारण संयुक्त प्रयास मध्यमंडल और निम्नतर तापमंडल (MLT) की जांच में पूरी तरह से उपयोग में लाए जाते हैं।

पता: 

MF रडार स्थापन,
सारनोबतवाडी
टोल नाका के पास, 
शिवाजी विश्वविद्यालय परिसर,
कोल्हापुर- 416 004
फोन: 0231-2605434
र्इमेल: 
iig.mokolhapur@iigm.res.in